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भारोत्तोलन खेल प्रतिभा साइखोम मीराबाई चानू का जीवन परिचय
हाल ही में टोक्यों ओलंपिक 2021 में अचानक एक भारतीय खिलाड़ी भारत सहित विष्व में चर्चा का विशय बन गई। भारत के मणिपुर राज्य के इम्फाल निवासी साइखोम मीराबाई चानू एक भारतीय भारोत्तोलन खिलाड़ी हैं। हाल में टोक्यो ओलंपिक 2021 खेलों में इन्होंने 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता। ऐसे में टोक्यों ओलंपिक में भारत के लिये भारोत्तोलन में रजत पदक जीतने वाली वह प्रथम महिला हैं। जानकारी के अनुसार उन्होंने सन् 2014 से मीराबाई चानू नियमित रूप से 48 किग्रा श्रेणी वर्ग की अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रहीं हैं। उन्होंनेे विश्व चैम्पियनशिप तथा राष्ट्रमण्डल खेलों में कई पदक जीते हैं। भारतीय खेल प्रतिभाओं में चानू की विषेश पहचान है। उनके खेल के क्षेत्र में दिये गये श्रेश्ठ योगदान के लिये भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया है।
भारत की विष्व पटल पर नाम रोषन करने वाली खेल प्रतिभा साइखोम मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को भारत के मणिपुर राज्य की राजधानी इम्फाल में हुआ है। यह देष का उत्तर पूर्वी स्थान है। इनकी माता का नाम श्रीमती साइकोहं ऊँगबी तोम्बी लीमा है। जो अपने कस्बे में एक दुकान का संचालन करती है। चानु के पिता का नाम साइकोहं कृति मैतेई है। जो सार्वजनिक निर्माण विभाग में सरकारी नौकरी करते हैं। जानकारी के अनुसार मीराबाई चानू अपने बचपन के दिनों से ही वनज उठाने व कार्य को गति से करने में रूचि रखती थी। उनकी यह प्रतिभा आगे चलकर के देष में विषेश पहचान बनाने में कारगर सिद्ध हुई। बताया जा रहा है कि मीराबाई चानू भारत्तोलक में रूचि रखने अपनी छोटी सी उम्र में अपनी सहेलियों को गुच्छे उठाकर अभ्यास किया करती थी। उस समय उनकी उम्र 12 वर्श के आस पास हुआ करती थी। उनकी कोच का नाम कुंजरानी देवी है।
मीराबाई चानू के खेल जीवन की ऐसे हुई षुरूआत, बनाई विषेश पहचान
प्रतिभाएं समय आने पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्षन कर ही देते है। उनकी प्रतिभा छुपी हुई नही रह सकती है। मीराबाई चानू जिस प्रकार की खेल प्रतिभा है, उसकी प्रतिभा का प्रदर्षन तो होना ही था। उनके आस पास वाले लोगों का मानना था कि यह प्रतिभा देष का नाम रोषन करेंगी। और वह ही हुआ। मीराबाई चानू के खेल प्रदर्षन को 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों के दौरान सुनहरा मौका मिला। मीराबाई चानू ने उस दौरान 48 किग्रा श्रेणी में रजत पदक जीता था। इस के साथ ही देष भर में नई भारोत्तोलन प्रतिभा के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामिकायाब रही। उसके बाद गोल्ड कोस्ट में हुए 2018 संस्करण में विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण पदक जीता। मीराबाई चानू की सबसे बड़ी उपलब्धि सन् 2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका के अनाहाइम में आयोजित हुई विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना था। चानू ने 24 जुलाई 2021 को टोक्यों ओलम्पिक में 49 किग्रा भारोत्तोलन में भारत के लिए पहला रजत पदक जीता था। उन्होंने स्नैच में 87 किग्रा भार उठाते हुए,क्लीन एंड जर्क में 115 किग्रा सहित कुल 202 किलोग्राम वजन उठा कर रजत पदक पर कब्जा किया। चानू ने टोक्यो ओलम्पिक 2020 (2021) में भारत को पहला पदक दिलाकर पदक तालिका में खाता खोला। गौरतलब है कि सुश्री कर्णम मल्लेश्वरी (कांस्य पदक सिडनी ओलंपिक 2000) के बाद चानू वेटलिफ्टिंग मे पदक जीतने वाली दूसरी व भारत की ओर से रजत पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय वैटलिफ्टर बन गई है। चानू ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वयं के 186 किलोग्राम का रिकाॅर्ड को तोड़कर 202 किलोग्राम के साथ नया कीर्तिमान स्थापित किया। इन्होंने ग्लासगो में हुए 2014 राष्ट्रमण्डल खेलों में भारोत्तोलन स्पर्धा के 48 किलोग्राम वर्ग में रजत पदक प्राप्त किया। उन्होंने कुल 170 किलो वजन उठाया, जिसमें 75 स्नैच में और 95 क्लीन एण्ड जर्क में था। इन्होंने ब्राजील के रियो डी जेनेरो में आयोजित 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई किया था। किंतु क्लीन एण्ड जर्क में तीनों प्रयास असफल रहने के बाद वह पदक जीतने में असफल रहीं। सन् 2017 में उन्होंने महिला महिला 48 किग्रा श्रेणी में 194 किग्रा (85 किग्रा स्नैच तथा 109 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क) का भार उठाकर 2017 विश्व भारोत्तोलन चैम्पियनशिप, अनाहाइम, कैलीफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वर्ण पदक जीता। चानू ने 196 किग्रा, जिसमे 86 किलोग्राम स्नैच में तथा 110 किग्रा क्लीन एण्ड जर्क में था। भारत को 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों का पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इसके साथ ही उन्होंने 48 किग्रा श्रेणी का राष्ट्रमण्डल खेलों का रिकाॅर्ड भी तोड़ दिया।
साइखोम मीराबाई चानू का सम्मान व पुरस्कार
साइखोम मीराबाई चानू ने सन् 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में षानदार प्रदर्षन किया था। वही उस दौरान विश्व कीर्तिमान के साथ स्वर्ण जीता था। इस पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 15 लाख की नकद धनराशि देने की घोषणा की। वही सन् 2018 में उनकी खेल प्रतिभाओं को देखते हुए उन्हें भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। और सन् 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
रियो की नाकामी के बाद चानु ने टोक्यो ओलंपिक में किया धमाल
सन् 2016 के रियो ओलंपिक में मीराबाई चानू का बेहद खराब प्रदर्शन रहा था। वही इस बीच कड़ी मेहनत करते हुए टोक्यो ओलंपिक में जबरदस्त प्रदर्षन किया। मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिला दिया है। चानू ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में सिल्वर मेडल लाने वाली पहली भारतीय एथलीट हैं। उन्होंने 49 किलोग्राम भार में यह पदक जीता है। इस वर्ग में चीन की होऊ जहुई ने गोल्ड और इंडोनेशिया की विंडी असाह ने ब्रान्ज मेडल जीता है। चानू ने कुल 202 किलोग्राम भार उठाकर भारत को सिल्वर मेडल दिलाया।
जब पिछली बार चानु रियो ओलंपिक गई थीं तो प्रदर्षन अलग था। डिड नाॅट फिनिश ओलपिंक जैसे मुकाबले में अगर आप दूसरे खिलाड़ियों से पिछड़ जाएँ तो एक बात है। लेकिन अगर आप अपना खेल पूरा ही नहीं कर पाएँ तो ये किसी भी खिलाड़ी के मनोबल को तोड़ने वाली घटना हो सकती है। 2016 में चानू के लिए ऐसा ही हुआ था। ओलंपिक में अपने वर्ग में मीरा सिर्फ दूसरी खिलाड़ी थीं जिनके नाम के आगे ओलंपिक में लिखा गया था डिड नाॅट फिनिश। जो भार मीरा रोजाना प्रैक्टिस में आसानी से उठा लिया करतीं, उस दिन ओलंपिक में जैसे उनके हाथ बर्फ की तरह जम गए थे। उस समय भारत में रात थीं, तो बहुत कम भारतीयों ने वो नजारा देखा। सुबह उठ जब भारत के खेल प्रेमियों ने खबरें पढ़ीं तो मीराबाई रातों रात भारतीय प्रशंसकों की नजर में विलेन बन गईं। नौबत यहाँ तक आई कि 2016 के बाद वो डिप्रेशन में चली गईं और उन्हें हर हफ्ते मनोवैज्ञानिक के सलाह लेनी पड़ी। इस असफलता के बाद एक बार तो मीरा ने खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फिर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जबरदस्त वापसी की। मीराबाई चानू ने 2018 में आॅस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलोवर्ग के भारोत्तोलन में गोल्ड मेडल जीता था और अब ओलंपिक मेडल।
वजन बनाए रखने के लिए करती कठोर परिश्रम
खेल प्रतिभाएं अपने षरीर को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए कई प्रकार के प्रयास करते है। लेकिन चानु का तरीका सबसे हट कर है। चानु की उंचाई 4 फुट 11 इंच है कि देखने में नन्ही सी मीरा बड़े बड़ों के छक्के छुड़ा सकती हैं। 48 किलोग्राम के अपने वजन से करीब चार गुना ज्यादा वजन यानी 194 किलोग्राम उठाकर मीरा ने 2017 में वल्र्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। पिछले 22 साल में ऐसा करने वाली मीराबाई पहली भारतीय महिला बन गई थीं। 48 किलो का वजन बनाए रखने के लिए मीरा ने उस दिन खाना भी नहीं खाया था। इस दिन की तैयारी के लिए मीराबाई पिछले साल अपनी सगी बहन की शादी तक में नहीं गई थीं। भारत के लिए पदक जीतने वाली मीरा की आँखों से बहते आँसू उस दर्द के गवाह थे जो वो 2016 से झेल रही थीं।
सन् 2007 में जब प्रैक्टिस शुरु की तो पहले-पहले उनके पास लोहे का बार नहीं था तो वो बाँस से ही प्रैक्टिस किया करती थीं। गाँव में ट्रेनिंग सेंटर नहीं था तो 50-60 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाया करती थीं। डाइट में रोजाना दूध और चिकन चाहिए था, लेकिन एक आम परिवार की मीरा के लिए वो मुमकिन न था। उन्होंने इसे भी आड़े नहीं आने दिया।
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